अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
भजन: शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥ सुन्दर वरण Shiv chaisa चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
पाठ पूरा हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें।
नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर shiv chalisa in hindi ब्रह्मादिक पार न पाय॥
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